The first thing I can't help but notice, is that this song HAS to be about Aamir. There is no chance in the world that either Sharman Joshi or Madhavan can play the character described here, while Aamir is around !!
The second noticeable thing is that it has a very distinct Bengali sound to it, you know, the likes where the maanjhi is singing to pass the time while he gets the naiyaan to the other side of the dariyaan, but is actually singing about the states of the mind of his passengers.
One can almost visualize Sharman Joshi and Madhavan sitting in the boat and reminiscing about Aamir.
बहती हवा सा था वोह ... उडती पतंग सा था वोह ...
कहाँ गया उसे ढूँढो !!
बहती हवा सा था वोह ... उडती पतंग सा था वोह ...
कहाँ गया उसे ढूँढो !!
हमको तो राहें थी चलाती ... वोह खुद अपनी राह बनाता ...
गिरता संभलता मस्ती में चलता था वोह !!
हमको कल की फिक्र सताती ... वोह बस आज का जश्न मनाता ...
हर लम्हे को खुल के जीता था वोह !!
कहाँ से आया था वोह ... छु के हमारे दिल को .....
कहाँ गया उसे ढूँढो !!
सुलगती धुप में छाव के जैसा ... रेगिस्तान में गाव के जैसा ...
मन के घाव पे मरहम जैसा ... था वोह !!
हम सहमे से रहते कुँए में ... वोह नदियाँ में गोते लगाता ...
उलटी धारा चीर के तैरता था वोह !!
बादल आवारा था वोह ... यार हमारा था वोह ...
कहाँ गया उसे ढूँढो !!
हमको तो राहें थी चलाती ... वोह खुद अपनी राह बनाता ...
गिरता संभलता मस्ती में चलता था वोह !!
हमको कल की फिक्र सताती ... वोह बस आज का जश्न मनाता ...
हर लम्हे को खुल के जीता था वोह !!
कहाँ से आया था वोह ... छु के हमारे दिल को .....
कहाँ गया उसे ढूँढो !!